Description
बीजयुक्त श्री सूक्तम अनुष्ठान
बीजयुक्त श्री सूक्तम अनुष्ठान के लिए, कमलगट्टा सहित गाय के घी से अग्नि अनुष्ठान या हवन यज्ञ किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस अनुष्ठान को प्रतिदिन या साप्ताहिक रूप से एक बार करता है, उसे कम समय में धन की अवश्य प्राप्ति होती है। प्राचीन भारत में धन की देवी के रूप में पहचानी जाने वाली देवी महालक्ष्मी की दिव्य भव्यता प्राप्त करने के लिए दैनिकी अनुष्ठान करने की परंपरा थी और आज भी कहीं कहीं वही परंपरा निरंतर चल रहा है। अध्यात्मवाद में बीज मंत्र से ही एक पूर्ण शक्तिशाली एवं फलदायी तीक्ष्ण मंत्र का उत्पत्ति होता है ।
देवताओं से सम्बंधित जो बीज मंत्र शब्दांशों के संयोजन से अथवा वर्णानुक्रम में जो किसी विशेष कार्य के लिए जाप, पाठ या अनुष्ठान कर रहे हैं तो निश्चितरूप से सफलता मिलती ही है और यह बीज मंत्र का अति शीघ्र प्रभाव उस भक्त या आयोजक की आभा के चारों दिशाओं में अदृश्य रूप में सुरक्षाचक्र स्थापित हो जाता है। आर्थिक स्तर में पूर्ण सफलता पाने हेतु, श्री सूक्तम के साथ शक्तिशाली जाग्रत तेजस्वी बीज मन्त्रों का जाप एवं उच्चारण सहित अग्नि के देवता का आव्हान करते हुए शुद्ध गाय के घी और कमलगट्टों एवं अन्य प्रसाद द्वारा यह अनुष्ठान समापन किया जाता है।
बीजयुक्त श्री सूक्तम के पाठ के साथ हवन और यज्ञ का अनुष्ठान शुद्ध गाय के घी और कमलगट्टे के साथ किया जाता है । धन की देवी के रूप में जानी जाने वाली महालक्ष्मी का दिव्य कृपा प्राप्ति हेतु करने के लिए हर दिन इस तरह के यज्ञ अनुष्ठान करने की परंपरा है। यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन इस यज्ञ अनुष्ठान (अनुष्ठान) को करता है, तो वह अपने जीवन में धन की देवी महालक्ष्मी की दिव्य कृपा प्राप्त करके, अपने जीवन में अपनी आर्थिक स्थिति, शांति और प्रचुरता में सुधार करके एक शानदार जीवन व्यतीत कर सकता है।