Mahavidhya Tara Initiation

Rs.2,100.00

Mother Bhagwati Kali is also called Tara because of her other name being Neelrupa. The secret of the name Tara is also that she is always the one who gives salvation that is why she is called Tara. Mother Tara comes in second place among the 10 Mahavidyas, by her grace the devotee attains success that is why she is also called Nilsaraswati.

She protects the devotees in times of terrible calamity; hence she is Ugratara. Tara or Ugratara sadhana is done for destruction of enemies, attainment of speech power and attainment of enjoyment and salvation. In the 10 Mahavidyas, Mother Tara accomplishment is said to be the presiding deity and Goddess Shakti with a wonderful influence. By their spiritual practice and worship, even an ordinary person becomes as learned as Jupiter.

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Description

महाविद्या तारा दीक्षा

माँ भगवती काली का दुसरा नाम नीलरूपा होने के कारण तारा भी कहा जाता है। तारा नाम का रहस्य यह भी है कि ये सर्वदा मोक्ष प्रदान करनेवाली, तारनेवाली हैं, इसिलिए इन्हें तारा कहा जाता है। माँ तारा १० महाविद्याओं में ये द्वितीय स्थान पर आती हैं, इनकी कृपा से भक्त वाकसिद्धि प्राप्त हो जाता हैं, इसिलिए इन्हें नीलसरस्वती भी कहते हैं। भयंकर विपत्ति के समय भक्तों की रक्षा करती है इसिलिए यह उग्रतारा हैं। शत्रु नाश, वाक्-शक्तिकी प्राप्ति तथा भोग-मोक्षकी प्राप्तिके लिए तारा अथवा उग्रताराकी साधना की जाती है। १० महाविद्याओं में माँ तारा सिद्धिकी अधिष्ठात्री देवी और एक अद्भूत प्रभाववाली देवी शक्ति कही गयी है। इनके साधना व उपासना से एक सामान्य व्यक्ति भी बृहस्पती के समान विद्वान् हो जाता है।

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