Description
षोडशी त्रिलोचन साधना दीक्षा
व्यक्ति का जीवन तब तक अधूरा है जब तक वह केवल आध्यात्मिकता या भौतिकता में रह रहा है, क्योंकि असली पूर्णता तो इन दोनों आयामों को प्राप्त करने में ही होती है । जहां ‘षोडशी’ का अर्थ है – चिरयौवनवान जीवन, भोग, धन, ऐश्वर्यस वहीं ‘त्रिलोचन’ का अर्थ है – ज्ञानचक्षु, तृतीय नेत्र एवं सद्गति, अर्थात् भोग-मोक्ष का समविन्त स्वरुप । जो व्यक्ति अपने जीवन में भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त करना चाहता है, उसे यह साधना प्रयोग अवश्य सम्पन्न करना ही चाहिए ।